मछलियाँ एक समूह की दृष्टि से अपने अंडों व बच्चों को बहुत कम पैतृक संरक्षण देती हैं। इनमें से अधिकांश अपने अंडों का निषेचन सुनिश्चित कर सन्तुष्ट हो जाती हैं, परन्तु उन पर बहुत कम ध्यान देती हैं।
(1) नीड निर्माण (Nest Building) उत्तरी अमेरिका के तालाबों तथा झीलों में पायी जाने वाली स्वच्छ जल वाली छोटी नर मछली स्टिकबैक या गैस्टरॉस्टिअस ऐक्यूलिसटस सर्वाधिक रोचक उदाहरण प्रस्तुत करती है। नर अपने गुर्दों के चिपचिपे स्रवण के प्रयोग द्वारा मृत जलीय पौधों का सचमुच एक घोंसला बनाता है। यह एक जटिल अनुरंजन अनुष्ठान द्वारा अनेक मादाओं को घोंसले की एक सुरंग में अंडे देने के लिए प्रेरित करता है। इसके बाद यह निषेचित अण्डों से बच्चे निकलने तक अपने उग्र व्यवहार द्वारा समस्त अतिक्रमण करने वालों को दूर रखकर उनकी सुरक्षा करता है।
अमरीकी फुफ्फुस मीन (लेपिडो साइटेन) का नर वायुमण्डल की हवा निगलने के लिये सुरंगनुमा-बिल या घोंसले को बार-बार छोड़ता है जिससे इसके रूपान्तरित बोणि पंखों के नर-वालित रुधिर से Oxygen, अंडों और बच्चों के पास वितरित हो सके।
नर अफ्रीकी फुफ्फुस - मीन (प्रोटोप्टेटस ) लम्बी दलदल की घास के आधार. पर अंडाकार गड्ढे या सुराख खोदता है। एक सूराख या घोंसले में अनेक मादाओं द्वारा 5000 तक अंडे दिये जाते हैं। नर उत्साह पूर्वक उनकी रक्षा करता है।
बेटा (Betta) मैक्रोपोडस द्वारा अन्य मछलियों में नर द्वारा मुँह में एकत्रित किये गये अण्डे श्लेष्मा तथा हवा के बुलबुलों के तैरते हुए घोंसलों पर चिपकने के लिये फेंक दिये जाते हैं।
(2) अध्यावरणी प्याले (Integumentary Caps)- सिल्यूरॉइड्स (silurodis) ऐस्प्रेडो (Aspredo) तथा प्लैटिस्टैकस (Platystacus) में निषेचित अंडे मादा के उदर की मुलायम स्पंजी त्वचा में दबा दिये जाते हैं। प्रत्येक अंडा त्वचा के एक प्याले सदृश गड्ढे में एक वृत्त द्वारा संलग्न हो जाता है। बच्चे निकलने तक मादा अंडों को ऐसे ही वहन करती है।
(3) अण्डों के चारों ओर कुण्डलन (Coiling Round Eggs)-फोलिस (Pholis) में नर अण्डों से बच्चे निकलने तक उनके चारों ओर एक गेंद या गोले के रूप में कुण्डलित होकर या लिपटकर उनकी सुरक्षा करता है।
(4) मुख में आश्रय देना (Shelter in Mouth)- अनेक मछलियाँ अण्डों को मुख में रखकर इन्हें सेती हैं। एरिअस नामक मछली में नर तथा टारलैपिया में मादा निषेचित अण्डों को मुख में स्फोटन होने तक उनकी पूर्ण सुरक्षा करती है।
(5) शरीर से आसंजन (Attachment to Body)- न्यू गिनी फिश कुरटस (Kurtus) का नर अण्डों से बच्चे निकलने तक अण्ड समूह को अपने सिर पर निकले एक हुक-सदृश प्रवर्ध पर उलझा कर (entangle) रखता है।
(6) जलपरी के बटुए (Mermaid's Purse)- अण्ड प्रजक शार्क जैसे साइलियम अपने निषेचित अण्डों को संरक्षी भृंगी अण्ड सम्पुरों (egg capsuler) में रख देती है, जिन्हें जलपरी का बटुआ कहते हैं। ये अण्ड सम्पुट समुद्री शैवालों से टेन्ड्रिल द्वारा चिपके रहते हैं। स्फोटन के समय बच्चे अण्ड सम्पुट तोड़कर बाहर निकल आते हैं।
(7) भ्रूण कोष्ठ (Mermaid's Rurge)- समुद्री घोड़ी (हिप्पोकैम्पस) में अण्डों तथा शिशुओं की देखभाल उदर को अधर सतह पर विशेष रूप से बनाये गये भ्रूण कोष्ठ (Brood pouch) में होती है। यह भ्रूण कोष्ठ नर के उदर भाग में पाया जाता है। पाइप फिश सिनग्नैथस में इसी प्रकार अण्डों को सुरक्षा होती है।
(8) सजीव प्रजकता (Viviparity)- स्कोलिओडॉन (डॉगफिश) तथा साइमैटोगैस्टर एग्रागेटस (सर्पमीन) में निषेचन तथा परिवर्धन दोनों आंतरिक होते तर्गत स हैं। परिवर्धन के समय भ्रूणों को पोषण अधिकतर पीतक-कोष अपरा द्वारा होता है कार के तथा पैदा होने वाले बच्चों में लक्षण वयस्कों के समान होते हैं। सजीव प्रजकता सर्वाधिक सुरक्षा प्रदान करती है तथा उच्चतम पैतृक रक्षण प्रस्तुत करती है।
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