स्तनधारियों में दंत विन्यास (Dentition in Mammals) :
- दंत और दंत विन्यास (Teeth and Dentition)
- दांतों के कार्य (Functions of Teeth)
- दांतों के प्रकार (Diffrentiation of Teeth)
- दंत सूत्र (Dental Formula)
- दांतो की संरचना (Structure of Teeth)
दंत और दंत विन्यास (Teeth and Dentition) :
कशेरुकियों की मुखगुहा में जबड़ों की अस्थियों से सम्बंधित कठोर और प्राय: नुकीली संरचनायें दांत कहलाती हैं। एक कशेरुकी में दांतों की व्यवस्था को दंत विन्यास की संज्ञा दी जाती है।
दांतों के कार्य (Functions of Teeth) :
1. दांतों का प्राथमिक कार्य शिकार या भोजन को मुख गुहा में परिवहण करना और पकड़े रहना है।
2. दांत रूपान्तिरित होकर भोजन चबाने के लिए एक पेषण चक्की (grinding mill) की भांति कार्य करते हैं।
3. दांत चीरने के अंगो की भांति कार्य करके आक्रमण करने या आत्मरक्षा के आयुध (Weapons ) का कार्य कर सकते हैं।
दांतों के प्रकार (Diffrentiation of Teeth) –
अकारकीय रूप से :
दांत समदती (homdont ) या विषमदंती (heterodont) प्रकार से विभेदित किये जाते हैं।
1. समदती (Homodont) :
स्तनियों के अलावा कशेरुकियों में सभी दात आकार और आमाप में समान होते हैं। उन्हे समदंती (Homodont) होते हैं।
2. विषमदंती (Heterodont) :
अभिलाक्षणीय रूप से विषमदंती अर्थात आकार और आमाप से असमान होते हैं। वे कृनतर्कों (incisors), रदनको (cannies), अग्रचर्वणकों (premalars) और चर्वणकों (molurs) नामक अनेक प्रकारों से विभेदित होते हैं।
दांतो का संलग्न (Attachment of Teeth) :
1. अग्रदंती (Aerodont) :
इस अवस्था में दांत जबड़े की अस्थि के स्वतंत्र तल या शिखर से संलग्न होते हैं। जैसे शार्क या मैढक मै ऐसे दांत सुगमता से टूटते है परन्तु वे प्रतिस्थापित हो जाते हैं।
2. पार्श्वदती ( Pleurodont) :
दांत अपने आधार तथा एक पार्श्व द्वारा जबड़े की अस्थि के भीतरी पार्श्व पर संलग्न रहते हैं।
3. गर्तदंती (Theocodont) :
इनमें दांतों में मुले होती हैं जिनसे वे जबड़े की अस्थि में बने पृथक पृथक गहरे गर्यो या कोटरों, जिन्हें कपिकायें (alveoli) अथवा प्रावरक कहते हैं। ये रोपित होते हैं।
दांतो का अनुक्रम (Succession of Teeth) :
1. बहुबार दंती (Polyphyodont) :
जीवन में दांत अनिश्चित बार प्रतिस्थापित होते हैं। उदा. मैठक।
2. द्विबारदंती (Diphyodont) :
सर्वाधिक स्तनियों में दांत जीवन में दो अनुक्रमी समुच्चयों (successive sets) में विकसित होते हैं। प्रथम समुच्चय दूध के दांत (milk) teeth) या दांत पाती (decideeous) कहलाते हैं। व्यस्क मैं ये दांत स्थायी दांतो द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं जो जीवन प्रयन्त चलते हैं।
3. एकबार दंती (Monophyodont) :
कुछ स्तनियों जैसे मार्सुपियलन, पर्लेटीपस आदि में जीवन में दांतों का केवल एक समुच्चय विकसित होता हैं।
दंत सूत्र (Dental Formula) :
स्तनियों की एक जाति में दांतों की संख्या और प्रकारों को एक समीकरण (equation) द्वारा दिखाया जा सकता हैं। जिसे दंत सूत्र (dental formula) कहते हैं। दांतो के प्रकार अपने आरम्भिक अक्षरों i.cpmm जो क्रमशः कृतकों (incisors ), रदनको (canines), अग्रचर्वणको (premolars) और चर्वणको (molars) को निरूपित करते हैं। सूत्र में प्रदर्शित संख्या को 2 से गुणा करने पर उस जाति के कुल दांतो की संख्या ज्ञात हो जाती हैं। एक प्रारूपिक स्तनीय दंत विन्यास में 44 स्थायी दांत होते हैं जो निम्न दंत सूत्र द्वारा प्रदर्शित किये जाते हैं।
दांतो की संरचना (Structure of Teeth) :
एक प्रारूपिक दांत 3 भागों अर्थात शिखर, ग्रीवा और मूल में विभेदित होता हैं। शिखर (crown) मसूड़े के ऊपर और जबड़े की अस्थि से बाहर निकला हुआ चमकीला भाग होता हैं। मूल (root) जबड़े की अस्थि की गर्तिका (socket ) में अन्तःस्थापित आधारिय भाग होता है। शिखर और मूल का संगम ग्रीवा (neck) कहलाता है। दांत कठोर चर्मीय अस्थिल पदार्थ दंतधातु (dentile) का बना होता हैं। शिखर में ये ऊपर से दंत वलक (enamel) से ढका होता है। दांत के अन्दर एक संकीर्ण मज्जा गुहिका (pulpcavity) होती हैं। यह रूधिर वाहिनियां और तंत्रिकाओं युक्त मज्जा (pulp ) से भरा होता हैं।
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